Home धर्म बांकली बालाजी का दरबार : यहां का डोरा बीमारी-बुरी नजर से बचाए, पहली बार में मंजूर होती है भक्त की अर्जी!

बांकली बालाजी का दरबार : यहां का डोरा बीमारी-बुरी नजर से बचाए, पहली बार में मंजूर होती है भक्त की अर्जी!

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दौसा. राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी और बागेश्वरधाम के बालाजी की प्रसिद्धि तो बहुत है. इन मंदिरों के बारे में सब जानते हैं. राजस्थान के दौसा में भी एक बालाजी धाम है. इस मंदिर की बड़ी मान्यता है. लेकिन यहां मंगलवार के बजाए शनिवार-रविवार को मेला भरता है. इस मंदिर में भी भक्त अर्जी लगाते हैं और अपने शरीर पर यहां का धागा बांधते हैं.

ये है सिकराय उपखंड क्षेत्र में स्थित गीजगढ़ के बांकली के बालाजी महाराज का मंदिर. यहां कभी जंगल और मिट्टी के टीलों पर एक चबूतरा बना हुआ था. मंदिर पुजारी पवन ने बताया पहले यहां मंदिर नहीं था. जंगल में मिट्टी के टीलों पर एक चबूतरा बना हुआ था. कभी कभार ही कोई भक्त यहां आता था. पवन बताते हैं शुरू से ही मेरे दादाजी श्री कृष्ण दास यहां नियमित रूप से पूजा करते थे. उनके साथ हमारी दादी भी सुबह-शाम यहां पूजा करने आती थीं.

धीरे धीरे हुई प्रसिद्धि
पुजारी पवन बताते हैं गीजगढ़ के बालाजी महाराज की धीरे धीरे प्रसिद्धि होती गयी. वैसे-वैसे ही मंदिर का विकास भी होता गया. चबूतरे के बाद यहां टीनशेड(चद्दर) लगाया गया. मंदिर का विकास भी होता रहा. अब बालाजी महाराज का विशाल मंदिर यहां बना हुआ है और दर्जनों धर्मशाला भी बन गई हैं. दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं और बालाजी महाराज की विशेष पूजा अर्चना करते हैं.

श्रद्धालु लगाते हैं अर्जी
श्रद्धालु शिवकांत चतुर्वेदी ने बताया बालाजी महाराज का विशेष मेला नवरात्रि के दौरान लगता है. मेले में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और बालाजी महाराज के दरबार में अर्जी लगाते हैं. अर्जी लगाने के बाद उनकी मनोकामना भी पूर्ण होती है. दशहरे के मेले पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह पानी की नाश्ते की सहित अन्य स्टॉल लगाए जाते हैं. दशहरे पर यहां कनक दंडवत देते हुए भी महिला पुरुष और बच्चे पहुंचते हैं. इन लोगों की यहां विशेष सेवा की जाती है. भक्तों की ऐसी गहरी आस्था है वो कहते हैं इस मंदिर में लगायी अर्जी पहली या दूसरी बार में ही बालाजी मंजूर कर लेते हैं.

बाबा का डोरा बुरी नजर और बीमारी से बचाए
मंदिर पुजारी पवन बताते हैं बांकली के बालाजी महाराज आने वाले श्रद्धालु अपनी इच्छा से एक डोरा बनवाते हैं. फिर उसे शरीर में बांध लेते हैं. श्रद्धालुओं की आस्था है कि इससे किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती है और नजर नहीं लगती. घर में सुख शांति और समृद्धि आती है. यहां मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इस दौरान ही अधिक डोर बनाए जाते हैं.

दशहरे पर मेला और भंडारा
बालाजी महाराज के दशहरे मेला में यहां सिकराय सिकंदरा बालाजी सहित अनेक जगह से यात्राएं आती हैं. मंदिर में विशाल भंडारा होता है. नवरात्रि में भागवत कथा का भी आयोजन होता है.

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