अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और पूरे देश में इस आयोजन को लोग टीवी के माध्यम से देख रहे हैं।
यही नहीं कई जगहों पर मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर एलईडी स्क्रीन्स लगाकर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था की जा रही है।
भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री भी अलग-अलग शहरों पर जनता के साथ कार्यक्रम देखने पहुंच रहे हैं।
ऐसे ही आयोजनों को लेकर तमिलनाडु में विवाद छिड़ गया है क्योंकि राज्य सरकार ने मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर लाइव टेलिकास्ट पर रोक का फैसला लिया है।
अब इस फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है और तत्काल सुनवाई की मांग की गई है।
अदालत में इस पर सुनवाई होने वाली है। इस अर्जी को भाजपा के राज्य सचिव विनोज पी. सेल्वम ने दाखिल किया है।
उन्होंने अपनी अर्जी में कहा, ‘डीएमके की तमिलनाडु सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा के पवित्र आयोजन के लाइव टेलिकास्ट पर रोक लगा दी है। राज्य के तमाम मंदिरों में यह कार्यक्रम होना था, जिस पर रोक लगा दी गई है।’
इस याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने पूजा, अर्चना, भंडारे आदि करने पर भी रोक लगा दी है। राज्य सरकार का इस तरह का ऐक्शन संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है।
यही नहीं केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का भी कांचीपुरम जिले में एक कार्यक्रम में जाने का प्लान था। यहां एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई थीं, लेकिन उन्हें राज्य सरकार के आदेश पर हटा दिया गया है।
भाजपा के एक नेता एसजी सुरैया ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘कांचीपुरम में यह एक प्राइवेट मंदिर है, जहां निर्मला सीतारमण रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की लाइव स्ट्रीमिंग को देखने पहुंच रही थीं।
लेकिन अब यहां तमिलनाडु पुलिस आई है। उसने स्क्रीनों को हटवा दिया है। एमके स्टालिन सरकार यह कैसा मजाक है?’
राज्य सरकार के इस कदम पर निर्मला सीतारमण ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों का दमन है, जो रामलला को विराजमान होते हुए देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि डीएमके की यह सरकार ऐंटी हिंदू है। गौरतलब है कि देश के सभी राज्यों में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में तो लोग सिनेमाघरों में भी इस आयोजन को देखने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा गली-मोहल्लो, बाजारों और सोसाइटियों में जोरदार सजावट भी की गई है।