Home खेल पेरिस 2024 में हरमनप्रीत सिंह का शानदार प्रदर्शन, पुरुष हॉकी में रहे शीर्ष गोल-स्कोरर

पेरिस 2024 में हरमनप्रीत सिंह का शानदार प्रदर्शन, पुरुष हॉकी में रहे शीर्ष गोल-स्कोरर

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भारतीय पुरुष हॉकी टीम के हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक जीताने में अहम भूमिका निभाई और गोल-स्कोरिंग चार्ट में शीर्ष स्थान पर रहे। हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस 2024 पुरुष हॉकी टूर्नामेंट में आठ मैचों में 10 गोल किए, जो अगले सर्वश्रेष्ठ, ऑस्ट्रेलिया के ब्लेक गोवर्स से तीन अधिक गोल रहे, जिन्होंने टूर्नामेंट में सात किए। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कोलंबस के यवेस-डू-मानोइर स्टेडियम में स्पेन को 2-1 से हराकर ओलंपिक में लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जीता।

कांस्य पदक मैच में भारत के लिए हरमनप्रीत ने दो गोल किए और भारत की जीत सुनिश्चित की। मैच जीतने के बाद भारतीय हॉकी टीम के कप्तान ने कहा, "मेरे लिए कड़ी मेहनत करने, पीसी (पेनल्टी कॉर्नर) बनाने और सभी फॉरवर्ड लाइन के लिए सारा श्रेय मेरी टीम को जाता है। मुझे इस पर बहुत गर्व है। बेशक, मुझे कप्तान के रूप में खुद पर भी गर्व है, लेकिन टीम हमेशा पहले आती है।"

हरमनप्रीत सिंह ने स्पेन के खिलाफ पेनल्टी कॉर्नर के जरिए दो गोल किए और टूर्नामेंट में अपने पेनल्टी कॉर्नर के स्कोर को सात तक पहुंचाया। जबकि तीन गोल पेनल्टी स्ट्रोक से आए। विश्व की चौथे नंबर की टीम बेल्जियम के साथ ग्रुप-स्टेज की भिड़ंत के अलावा, हरमनप्रीत ने पेरिस 2024 में आठ बार के ओलंपिक चैंपियन के लिए हर मैच में गोल किया।

28 वर्षीय खिलाड़ी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने अभियान के पहले मैच में भारत के लिए अंतिम मिनट से ठीक पहले एक गोल करके अपना खाता खोला। वह अगले मैच में भी स्कोरशीट पर थे, जो अर्जेंटीना के साथ 1-1 से ड्रॉ रहा। उन्होंने आयरलैंड पर 2-0 की जीत में दो गोल किए, लेकिन टोक्यो 2020 के स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम के खिलाफ भारत की 1-2 की हार में गोल नहीं कर सके।

हरमनप्रीत ने अपने अंतिम ग्रुप-स्टेज गेम में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की 3-2 की जीत में स्कोरिंग चार्ट में वापसी की। भारतीय कप्तान ने ग्रेट ब्रिटेन के साथ 1-1 की बराबरी में अपनी टीम के लिए एकमात्र गोल किया, जहां, भारत ने पेनल्टी शूट-आउट में जीत हासिल करके सेमीफाइनल में जगह बनाई। जर्मनी के खिलाफ उन्होंने एक और गोल किया लेकिन टीम को 2-3 से हार मिली। हालांकि, कांस्य पदक मैच में, 28 वर्षीय खिलाड़ी ने पेनल्टी कॉर्नर के जरिए निर्णायक गोल किया और 1972 के बाद पहली बार भारत के लिए लगातार दो ओलंपिक पदक हासिल करने में अपना अहम योगदान दिया।

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