बिहार में दो दिनों से सियासी ड्रामा चालू है।
ऐसी अटकलें हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थाम सकते हैं और भाजपा के सपोर्ट से बिहार में सरकार बना सकते हैं।
इसे लेकर आज दिनभर सस्पेंस जारी रहा। इस दौरान कई नेताओं के बयान आए। सियासी चहलकदमी के दौरान दोपहर और फिर देर शाम देखा गया है कि नीतीश कुमार और महागठबंधन की घटक दलों में शामिल आरजेडी के नेता मीटिंग करते रहे।
वहीं बिहार की सियासत में कल का दिन अहम है। बिहार में तीन पार्टियां – जेडीयू, आरजेडी और भाजपा मौजूदा हालात को लेकर बैठक करने वाली हैं।
इसी बीच जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल ने शुक्रवार को कहा कि महागठबंधन में नीतीश कुमार को सम्मान नहीं मिला। उनका बयान सीधे तौर पर इशारा है कि नीतीश कुमार और महागठबंधन के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।
आरजेडी ने पूछा नीतीश से सवाल
आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने पटना में संवाददाताओं से कहा कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को इन अफवाहों के बीच स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि वह भाजपा की एनडीए में वापस जाने की योजना बना रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”हमने लोगों के कल्याण के लिए और भाजपा को हराने के लिए मिलकर सरकार बनायी है। व्याप्त भ्रम बिहार में जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। केवल मुख्यमंत्री ही भ्रम को दूर कर सकते हैं।”
जेडीयू विधायक का बड़ा बयान
वहीं समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष (नीतीश कुमार) जहां भी जाएंगे, हम उनका अनुसरण करेंगे। लोग अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
उनका अस्तित्व खतरे में है। उनका सम्मान नहीं किया गया; उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। जेडीयू के विधायक मजबूत हैं, इसलिए उन्हें तोड़ना संभव नहीं है।” उनका यह बयान आरजेडी सांसद मनोज सिन्हा के सवाल का जवाब माना जा रहा है।
भाजपा ने साधी चुप्पी
वहीं भाजपा ने इस बात को लेकर बयान देने से कतराती रही कि क्या जेडीयू के साथ हाथ मिलाने के बारे में कोई फैसला लिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार के घटनाक्रम पर पार्टी नेताओं के साथ आज परामर्श किया।
बिहार में राजनीतिक सरगर्मी के बीच आरजेडी ने नीतीश कुमार से ‘भ्रम’ को दूर करने का आग्रह किया जिसका असर राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन पर पड़ रहा है। हालांकि, नीतीश कुमार ने अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं।
बिहार की सियासत को लेकर आज क्या हुआ
भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे अपने सहयोगियों के साथ भी संपर्क में हैं। पासवान और कुशवाहा मुख्यमंत्री कुमार का विरोध करते रहे हैं। हालांकि, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता पासवान ने कहा कि वह भाजपा नेतृत्व के निर्णय के अनुसार चलेंगे।
इस बीच, बिहार में भाजपा नेताओं का एक वर्ग नीतीश कुमार के साथ गठबंधन के लिए उत्सुक नहीं है। ऐसे नेताओं का दावा है कि मुख्यमंत्री का प्रभाव कम हो रहा है और उनकी ‘घटती विश्वसनीयता’ भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी।
मुख्यमंत्री कुमार के मुखर आलोचक केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ”मैं न तो किसी का स्वागत कर रहा हूं और न ही किसी के खिलाफ हूं।
यह केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय है। वे जो भी निर्णय लेंगे, मुझे यकीन है कि यह राज्य और पार्टी के हित में होगा।” यह पूछे जाने पर कि क्या वह नये सिरे से भाजपा-जेडीयू गठबंधन की संभावना से खुश हैं, सिंह ने कहा, “मैं न तो खुश हूं और न ही नाखुश। मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं, जो भी निर्णय लिया जाएगा मैं उसका पालन करूंगा।”