श्रीकृष्ण जन्माष्ट्मी का पर्व भारत समेत पूरी दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन कान्हा की जन्मस्थली मथुरा में इस उत्सव की धूम देखने लायक होती है. मथुरा-वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इसके लिए व्यापक सुरक्षा के इंतजाम किये जा रहे हैं. ब्रज में इन दिनों श्रीकृष्ण का 5251 वां जन्मदिन धूमधाम से मनाने के लिए व्यापक तैयारियां चल रही हैं. देशभर में कई भक्त अपने घरों में भी श्रीकृष्ण के जन्मस्थल मथुरा की जन्माष्टमी के अनुसार ही व्रत रखते हैं और कनुआ का जन्मदिन मनाते हैं. आपको बता दें कि इस बार मथुरा-वृंदावन में 2 दिनों तक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि ब्रज में इन दिनों श्रीकृष्ण का 5251 वां जन्मदिन धूमधाम से मनाने के लिए व्यापक तैयारियां चल रही हैं.
अलग-अलग दिन होगी मथुरा-वृंदावन की जन्माष्टमी
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित सभी प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाया जाएगा. जबकि वृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी 27 अगस्त की रात्रि में मनाई जाएगी. ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालु दो-दो दिन जन्माष्टमी का आनन्द ले सकेंगे. हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसके दूसरे दिन नवमी के अवसर पर मंदिरों में नन्दोत्सव (कृष्ण जन्म की खुशी का उत्सव) मनाया जाता है, जिसमें प्रतीकात्मक नन्द बाबा अपने यहां पुत्र जन्म होने के अवसर पर उत्सव मनाते हैं.
संतों के अनुसार, इस बार ब्रज में सभी मंदिरों एवं ब्रज के घरों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव 26 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाया जाएगा. दिन में व्रत रखा जाएगा और रात के 12 बजे भगवान के जन्म के बाद धनिया से बनी पंजीरी का भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाएगा. वृन्दावन स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी. मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि बांकेबिहारी मंदिर में वर्ष भर आयोजित होने वाले सभी पर्वोत्सव मंदिर के पुरोहित द्वारा तय किए गए पंचांग के अनुसार सम्पन्न किए जाते हैं, जो उदयात (यानि जिस तिथि में सूर्योदय होता है) के आधार पर तय किए जाते हैं.
रात 2 बजे होगी ठाकुर जी की मंगला आरती
बिहारी जी मंदिर के पुरोहित एवं सेवायत आचार्य छैलबिहारी गोस्वामी ने बताया कि हर वर्ष की शुरुआत में ही मंदिर के सभी त्योहार-पर्वों का पंचांग तैयार कर लिया जाता है और फिर पूरे वर्ष उसी के मुताबिक सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं. उन्होंने बताया, ‘इस साल क्योंकि अष्टमी तिथि में सूर्योदय 27 अगस्त को होगा, इसलिए मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उसी दिन मनाया जाएगा तथा मध्य रात्रि पश्चात ठाकुर जी की मंगला आरती दो बजे की जाएगी.’ आपको बता दें कि मंगला आरती विशेष आरती है जो वर्ष में एक बार, केवल इसी दिन की जाती है. बांके बिहारी मंदिर के इतिहास के जानकार एवं सेवायत आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि 27 अगस्त को निर्धारित समय पर ही दर्शन व आरतियां की जाएंगी जिसके बाद रात 12 बजे से आराध्य का महाभिषेक होगा, जिसके दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए सुलभ नहीं होंगे. अब ये आरती रात 2 बजे होगी, जबकि कुछ दशक पहले तक ये मंगला आरती भोर में चार बजे होती थी, जिसमें सीमित संख्या में ही भक्त सम्मिलित होते थे. आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि मंगला आरती पूरी होने के बाद भक्त ठाकुर जी के दर्शन कर पाएंगे.