Home देश डॉक्टरों की हड़ताल के बीच अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर आईएमए का बयान

डॉक्टरों की हड़ताल के बीच अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर आईएमए का बयान

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कोलकाता के मेडिकल कालेज में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या के विरोध में पांच दिनों से चल रही रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहने से चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह बाधित रहीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने भी शनिवार को देशभर के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में हड़ताल की घोषणा की है।

अस्पतालों में भी डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे

शनिवार सुबह छह बजे से रविवार सुबह छह बजे तक डाक्टर हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान अस्पतालों में ओपीडी व नियमित सर्जरी बंद रखने की अपील की गई है। छोटे निजी अस्पताल, नर्सिंग होम के अलावा कारपोरेट अस्पतालों में भी डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। आइएमए ने केंद्र सरकार से अस्पतालों को सुरक्षित जोन घोषित कर एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा व्यवस्था करने की मांग की है।

शुक्रवार को आइएमए मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार किया है, जबकि पीडि़ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि वारदात में कई लोग शामिल हैं। 36 घंटे की लंबी ड्यूटी लगाए जाने के बावजूद अस्पताल में विश्राम कक्ष नहीं था।

अस्पतालों को सुरक्षित जोन घोषित करने की मांग

उन्होंने कहा कि पिछले मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर एसोसिएशन ने अस्पतालों को सुरक्षित जोन घोषित करने की मांग की है। जहां पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मचारी तैनात होने चाहिए और सुरक्षा जांच के प्रोटोकाल का पालन होना चाहिए। अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम का समय निर्धारित होना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की मांग भी रखी गई है, लेकिन मंत्रालय से इसको लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने विचार करने की बात कही है। डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए यह कानून बनाया आवश्यक है। आइएमए के एक्शन कमेटी के चेयरमैन डा. विनय अग्रवाल ने कहा कि डाक्टर कभी हड़ताल करना नहीं चाहते, लेकिन महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और डॉक्टरों के साथ ¨हसा की घटनाएं होंगी, तो हम चुप नहीं रहेंगे।

इमरजेंसी सेवा भी ठप, मरीजों की परेशानी बढ़ी

बंगाल, बिहार, झारखंड व दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही है। पंजाब के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ ने कोई काम नहीं किया। उत्तराखंड में ऋषिकेश एम्स में रेजिडेंट डाक्टर पिछले चार दिन से हड़ताल पर हैं। दून मेडिकल कालेज में भी पीजी चिकित्सक शुक्रवार को कार्य बहिष्कार पर रहे। फार्मेसिस्ट संघ ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।

हिमाचल प्रदेश में मेडिकल कालेजों में तीन दिन से चल रही हड़ताल से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में पटना के एनएमसीएच, दरभंगा के डीएमसीएच व मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच की इमरजेंसी सेवा गुरुवार दोपहर को ही ठप कर दी।

एम्स पटना में ओपीडी व जांच सुविधाएं बंद रहीं

भागलपुर और पूर्णिया के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं। पटना के शेखपुरा स्थित आइजीआइएमएस में उपचार बंद होने से मरीजों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने लगभग एक घंटे के लिए नेहरु पथ (बेली रोड) जाम कर दिया। एम्स पटना में ओपीडी व जांच सुविधाएं बंद रहीं, लेकिन इमरजेंसी-ट्रामा सेवा जारी रही। पटना में राजकीय आयुर्वेदि कॉलेज के सामने आयुष चिकित्सकों ने शाम को कैंडल मार्च निकाला।

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