भोपाल । मंत्री और विधायकों की उनके विधानसभा क्षेत्र में सडक़ें खराब होने या सडक़ नहीं होने की शिकायतें शीघ्र दूर हो जाएंगी। इसके लिए प्रदेश में आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से सडक़ों का निर्माण कराया जाएगा। इनमें शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की सडक़ें सम्मिलित की जाएंगी। मुख्यमंत्री की घोषणा और मंत्री-विधायकों से मिले प्रस्ताव के आधार पर लोक निर्माण विभाग ने इसकी सूची तैयार कर ली है। पहली बार है, जब एक बार में इतनी बड़ी राशि से सडक़ों का निर्माण कराया जाएगा। निर्धारित मापदंड से अधिक राशि की स्वीकृति के चलते कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा रहा है।
विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने सभी विधायकों से 15-15 करोड़ रुपये के प्रस्ताव मांगे थे। अधिकतर सदस्यों ने पुल-पुलिया और सडक़ों के प्रस्ताव दिए। इन्हें बजट में शामिल तो किया गया पर राशि का केवल प्रतीकात्मक प्रविधान रखा। वर्ष 2024-25 के बजट में पांच हजार करोड़ रुपये से लागत वाली 3,668 किलोमीटर लंबाई की सडक़ों को शामिल किया गया। इसके साथ ही कई और परियोजनाएं हैं, जिनकी मांग सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से की है। मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त इन प्रस्तावों को भी शामिल करते हुए विभाग ने आठ हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। दरअसल, किसी भी निर्माण विभाग को राशि देने के लिए जो मापदंड हैं, उसके अनुसार विभाग को 10 हजार करोड़ रुपये का बजट मिला है लेकिन इससे प्रस्तावित कार्य पूरे नहीं हो सकते हैं। अधिक राशि स्वीकृत करने के लिए वित्त विभाग छूट दे सकता है पर कैबिनेट की स्वीकृति आवश्यक है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय सडक़ निधि की तीन हजार करोड़ रुपये की सीमा को भी बैंक आफ सेंक्शन में शामिल किया हुआ है। इसमें राशि केंद्र सरकार देती है, इसलिए इस राशि को विभाग के लिए निर्धारित सीमा से हटाना प्रस्तावित किया है। इससे विभाग की बैंक आफ सेंक्शन की सीमा बढ़ जाएगी और आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से सडक़, पुल-पुलिया बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा। राशि की व्यवस्था अनुसूचित जाति-जनजाति उप योजना, खनिज क्षेत्र विकास निधि, केंद्रीय क्षेत्रीय योजना, विशेष केंद्रीय सहायता से किया जाना प्रस्तावित है।
मप्र में बनेंगी आठ हजार करोड़ की सडक़ें
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