उपभोक्ता आयोग ने HDFC BANK को सेवा में कमी के लिए दोषी ठहराते हुए उपभोक्ता को बैंक की 23 हजार रुपये की देयता से मुक्त करने का निर्देश दिया। आयोग के अध्यक्ष संजीव जिंदल ने आदेश में कहा कि सभी प्रस्तुत दस्तावेज और तर्कों की समीक्षा के बाद यह पाया, HDFC BANK द्वारा दी गई सेवा में कमी साफ तौर पर दिखाई देती है। बैंक ने शिकायतकर्ता के भुगतान को अपडेट नहीं किया, जिससे उसकी क्रेडिट हिस्ट्री प्रभावित हुई। आयोग ने HDFC BANK को निर्देश दिया कि वे 23 हजार रुपये की मांग को रद्द करें और शिकायतकर्ता का क्रेडिट स्कोर खराब न करें। बैंक को 20 हजार रुपये मानसिक पीड़ा का मुआवजा और 11 हजार रुपये कानूनी खर्चों के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
सुनील कुमार की याचिका
शिवाजी पार्क के रहने वाले याचिकाकर्ता सुनील कुमार ने अपनी याचिका में बताया था कि उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के भुगतान के लिए PHONEPE के माध्यम से 23 हजार रुपये का भुगतान किया था। बैंक ने इस भुगतान को अपडेट नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, बैंक द्वारा उनसे फिर से 23 हजार रुपये की मांग की जा रही थी और उनका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो रहा था। इस बात से नाराज सुनील ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में बैंक के खिलाफ याचिका दायर की थी।
23 हजार रुपये के भुगतान के सबूत प्रस्तुत किए
इस मामले में आयोग के सामने शिकायतकर्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेज और बैंक विवरण प्रस्तुत किए थे, जो यह साबित करते हैं कि 23 हजार रुपये का भुगतान PHONEPE के माध्यम से सही तरीके से किया गया था। HDFC BANK की ओर इस मामले में कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे शिकायतकर्ता के आरोपों का खंडन किया जा सके।