भोपाल। मप्र में भाजपा ने जिस लाड़ली बहना योजना के सहारे 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, वह अब अन्य राज्यों में भी जीत की गारंटी बन गई है। यही वजह है की चुनावी राज्यों में मप्र की ‘लाड़ली’ को नाम बदल-बदलकर महिलाओं को लुभाने का हथियार बनाया जा रहा है। महिलाओं को सीधा आर्थिक लाभ देने वाली इस योजना की तर्ज पर ही भाजपा के अलावा कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दल वादे कर रहे हैं।
बीते साल मप्र के विधानसभा चुनाव से पहले माना जा रहा था कि भाजपा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन जब नतीजे आए तो उसने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। 48 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करते हुए भाजपा ने कुल 163 सीटों पर जीत हासिल की। इन शानदार नतीजों के पीछे पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की ओर से घोषित की गई लाड़ली बहना योजना का योगदान माना गया था। उन्होंने महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए की रकम देने का वादा किया था। इस स्कीम के ऐलान से महिलाओं पर बड़ा असर हुआ और भाजपा को बड़ी जीत मिली। लोकसभा चुनाव में भी यह योजना कारगर रही और मप्र में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
मप्र में लाड़ली बहना योजना के प्रभाव को देखते हुए देश के अन्य राज्यों में इस योजना को शुरू करने की होड़ मची हुई है। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के साथ तकरीबन हर उस राज्य में महिलाओं को लुभाने का हथियार बन रही है, जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। महिलाओं को सीधा आर्थिक लाभ देने वाली इस योजना की तर्ज पर ही भाजपा के अलावा कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दल वादे कर रहे हैं। महिला सशक्तीकरण के नाम पर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में विवाहित महिलाओं को मां सम्मान योजना के अंतर्गत हर वर्ष 18 हजार रुपए प्रदान करने का संकल्प किया है। हरियाणा में भाजपा ने लाडो लक्ष्मी योजना के तहत 2,100 रुपए हर महीने देने का वादा किया है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार महिलाओं को 1,500 रुपए महीने का आर्थिक लाभ देने की योजना लाई है। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने भी महिलाओं को एक हजार रुपये देकर आधी जनसंख्या का भरोसा जीतने का हथियार बनाया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले जनवरी, 2023 में यह योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इसके तहत एक करोड़ 27 लाख महिलाओं को हर महीने 1,250 रुपए दिए जा रहे हैं। महिला वोट बैंक पर सीधा प्रभाव डालने वाले वादों को लेकर राजनीतिक दलों में होड़ की यह स्थिति है कि हरियाणा में कांग्रेस ने भी लाड़ली बहना योजना का लाभ अलग रूप में दिए जाने की घोषणा की है। पार्टी ने महिलाओं को दो हजार रुपये प्रतिमाह और बुजुर्ग, दिव्यांग व कल्याणी को छह हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया है। महाराष्ट्र की शिवसेना महायुति गठबंधन की एकनाथ शिंदे सरकार माझी लडक़ी बहिन योजना में 80 लाख महिलाओं को प्रति महीने डेढ़ हजार रुपये दे रही है और इसे बढ़ाने वादा भी है।
चुनाव में जीत के लिए पार्टियां तरह-तरह के वादे कर रही हैं। लोकलुभावन वादे करके पार्टियां सरकार बना लेती हैं तो उन योजनाओं के क्रियान्वयन पर होने वाले खर्च से राज्यों पर आर्थिक भार बढ़ रहा है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि ऐसे चुनावी वादों को रोकने का अधिकार चुनाव आयोग के पास भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि आप ऐसे वादों में केवल यह देखिए कि जो वादे किए जा रहे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए राज्य के पास संसाधन हैं या नहीं। सभी दल इसी हिसाब से लिखकर दे देते हैं। आजकल राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना सबसे बड़ा मुद्दा रह गया है। मप्र की ही बात करें तो लाडली बहना योजना पर 18 हजार करोड़ रुपए प्रति महीने खर्च हो रहा है। ब्याज, वेतन, पेंशन और अत्यावश्यक खर्च छोडकऱ बात करें तो 40-50 हजार करोड़ रुपये ही बचते हैं। इसमें से भी 18 हजार करोड़ इस योजना में चले जाते हैं। ऐसे में सडक़ मरम्मत, नई सडक़ें बनने से लेकर नई योजनाओं या विकास के लिए कितनी राशि बचेगी। सरकार या वोटर के लिए यह चिंतन का विषय है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना गलत नहीं है लेकिन राज्यों को पहले अपनी आर्थिक स्थिति उसके अनुरूप बनाना चाहिए।
मोहन यादव सरकार एक नवंबर को मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस से मिशन मोड में काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन चार जातियों का उल्लेख क्रिया, उनसे प्रेरणा लेकर सरकार युवा शक्ति, गरीब कल्याण, किसान कल्याण और नारी सशक्तीकरण मिशन लागू करेगी। इसके लिए नवरात्र के बाद दो दिवसीय मंथन भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में होगा। इसमें मंत्री, अधिकारी और विशेषज्ञ विचार-विमर्श करके चारों मिशन की कार्ययोजना तैयार करेंगे। प्रदेश में अभी गरीब कल्याण, महिला सशक्तीकरण, युवाओं के लिए रोजगार और किसान कल्याण को लेकर कई योजनाएं बनाकर काम किया जा रहा है। इनका संचालन अलग-अलग विभाग कर रहे हैं। कई बार सामंजस्य की कमी सामने आती है तो योजनाओं में दोहराव की स्थिति भी बनती है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को चार मिशन एक नवंबर से लागू करने की घोषणा की थी। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय ने तैयारी शुरू कर दी है।
मप्र की ‘लाड़ली’ बनी जीत की गारंटी
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