नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं अब देश को नई सरकार बनने का इंतजार है और कई आशाएं भी हैं। आमजनता नई सरकार से मंहगाई, बेरोजगारी जैसे समस्याओं से निजात पाने की आस लगाए हैं। वहीं देश की नई सरकार के सामने कई प्रमुख नीतिगत मुद्दों होंगे। इन मुद्दों में जीएसटी में सुधार, महंगाई, सार्वजनिक वित्त, खाद्य कीमतें और निवेश को बढ़ावा देना आदि कई शामिल हैं। नई सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
नई सरकार को पहले भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और वैश्विक आर्थिक स्थिति के कारण सुधारों में तेज़ी लाने की जरूरत होगी, लेकिन केंद्र में गठबंधन की सरकार होने से यह आसान नहीं होगा। निजीकरण और जीएसटी पर पुनर्विचार जैसे कुछ मुद्दों पर आम सहमति की जरूरत होती है। जिस पर नई सरकार को ध्यान देने की जरूरत होगी।
पांच स्लैब वाले जीएसटी रेट स्ट्रक्चर का तुरंत रीव्यू नहीं किया जा सकता है। इसके लिए 12फीसदी और 18फीसदी स्लैब को मर्ज करने की जरूरत पड़ेगी, जिससे हाई ब्रैकेट में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क में बढ़ोतरी की जरूरत होगी। इस पर राजनीतिक सहमति बनाना आसान नहीं होगा।
निजीकरण को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। आरबीआई के 2.1 लाख करोड़ रुपए के मेगा लाभांश और मजबूत जीएसटी राजस्व से केंद्र की वित्तीय स्थिति अच्छी हो सकती है, लेकिन केंद्र को सब्सिडी व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए धीमी गति से काम करना पड़ेगा। हालांकि लीकेज को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल ऐसा है जो नहीं बदलेगा।
साल 2021-22 में 85 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद लगातार दो सालों से विदेशी निवेश का वार्षिक फ्लो गिरा है। यह 2023-24 में 71 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत कई क्षेत्रों में निवेश व्यवस्था को और ज्यादा आकर्षक बनाने की उम्मीद है।
खाद्य कीमतें अस्थिर और उच्च बनी हुई हैं। नई सरकार कीमतों को मौसम से बचाने और गर्मी और बाढ़ जैसे जलवायु-प्रेरित झटकों से बचाने के लिए कदम उठा सकती है। वहीं नई जीडीपी डेटा कृषि क्षेत्र में सापेक्षिक ठहराव को दर्शाता है। सिंचाई और उत्पादकता बढ़ाने के लिए एआई के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित करने वाले सुधारों की उम्मीद है।
उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन योजना ने स्मार्टफोन और अन्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद की है, लेकिन इसे खिलौने और जूते जैसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करने की मांग की गई है। निर्यात उत्पादन के लिए चीन से बाहर निकलने के इच्छुक कंपनियों और क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए पीएलआई को और बेहतर बनाने की उम्मीद है। वहीं क्रिप्टोकरेंसी, एआई, डेटा सुरक्षा के बेहतर विनियमन पर विचार किया जा रहा है।
अर्थशास्त्रियों का मनना है कि 2024-25 की जीडीपी वृद्धि 2023-24 में 8.2फीसदी की वृद्धि को दोहराएगी, लेकिन मौजूदा वैश्विक आर्थिक माहौल में 7फीसदी की बढ़ोरती दर तय करना भी आसान नहीं होगा। आर्थिक मंत्रालयों ने 2030 और 2047 के लिए विशिष्ट लक्ष्यों के साथ कार्य योजनाएं बनाई हैं। अगर नई सरकार में आम सहमति बनती है, तो मंत्रालय-वार कार्य योजना का अनावरण किया जा सकता है।
अब नई सरकार को जीएसटी, महंगाई जैसे मुद्दों का करना होगा सामना
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