ईरानी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने 16 जनवरी को पाकिस्तान के सीमाई प्रांत बलूचिस्तान में हमला करने से पहले ही इसकी सूचना पाकिस्तानी सेना को दे दी थी।
फिर भी पाकिस्तान मिसाइल हमले पर हंगामा कर रहा है और जवाबी कार्रवाई में सिस्तान में नौ लोगों की जान ले चुका है।
एक ‘जानकार ईरानी स्रोत’ के अनुसार, “तेहरान ने इस्लामाबाद को हमले के बारे में बता दिया था लेकिन उसे यह नहीं बताया था कि वह इस सूचना को सार्वजनिक करे।”
बता दें कि ईरान ने 16 जनवरी की देर रात ईरान-पाकिस्तान के सीमाई इलाके में बलूचिस्तान प्रांत में स्थित सुन्नी आतंकी संगठन ‘जैश-अल-अदल’ के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था।
पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ माना और बदले की कार्रवाई में गुरूवार को बलूचिस्तान-सिस्तान इलाके में ISIS आतंकियों और बलोच अलगाववादी संगठनों के ठिकानों पर एयरस्ट्राक कर दी, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के करीबी माने जाने वाले एक टेलीग्राम चैनल ने 18 जनवरी को लिखा, “पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमले के लिए पाकिस्तानी सरकार के साथ कॉर्डिनेशन की जरूरत थी, जो इस सप्ताह पूरा हुआ।”
इसमें कहा गया, “पाकिस्तान का आज का हमला भी उस समझौते के अनुरूप है जो आकार ले चुका है और सीमा पर आतंकवाद से निपटने तथा सीमा पर स्थायी सुरक्षा स्थापित करने की दिशा में दोनों देशों के दृढ़ संकल्प का परिणाम है।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ ईरानी पत्रकारों ने सुझाव दिया है कि अफगानिस्तान में ईरानी राष्ट्रपति के दूत हसन काज़ेमी-कोमी की पाकिस्तान की नवीनतम यात्रा का उद्देश्य इस्लामाबाद को आसन्न ईरानी हमले के बारे में पहले से सूचित करना हो सकता है।
हालांकि, इन रिपोर्टों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर की गई एयरस्ट्राइक ने इलाके में तनाव बढ़ा दिया है।
खासकर तब, जब 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के आतंकी हमले के जवाब में गाजा में लंबे समय से युद्ध चल रहा है। इस बीच, राहत की बात यह है कि ईरान और पाकिस्तान , दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने की इच्छा का संकेत दिया है।
पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने ईरान के साथ जारी तकरार के बीच शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की।
इससे ठीक पहले, दोनों पड़ोसी देशों ने एक-दूसरे के क्षेत्र में अपने सैन्य हमलों के बाद बिगड़े संबंधों को दुरूस्त करने के लिए सहमति जताई।
एक सूत्र ने बताया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख, कैबिनेट मंत्री और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।