पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैं।
उनकी पार्टी ने अन्य दलों के साथ चुनाव बाद गठबंधन बनाते हुए नेशनल असेंबली में बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया है। नवाज शरीफ के चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की अटकलों के बीच अचानक शहबाज फ्रंट सीट पर आ गए हैं।
इससे पार्टी के अंदर भी खलबली मची हुई है। हालांकि, नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने इससे इनकार किया है।
सूत्रों के मुताबिक, शक्तिशाली सेना के समर्थन से प्रधानमंत्री का प्रतिष्ठित पद हासिल करने की दौड़ में शहबाज शरीफ अपने 74 वर्षीय भाई नवाज शरीफ से आगे निकल गए हैं।
इससे अब माना जा रहा है कि पूर्व पीएम नवाज शरीफ का सियासी करियर आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है।
पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, प्रशासन और सरकार से जुड़े शक्तिशाली लोग नवाज की तुलना में शहबाज के साथ काम करने में अधिक सहज हैं। उधर, मरियम ने कहा है कि नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन खंडित जनादेश के बाद वह शीर्ष पद की रेस से हट गए हैं।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो तख्तापलट की आशंका वाले पाकिस्तान में अगले महीने की शुरुआत में छह-दलीय गठबंधन की सरकार बनने की संभावना है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समेत तीनों दलों में से किसी को भी 8 फरवरी को हुए आम चुनावों में नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल नहीं हो सका था। इसलिए कोई भी दल अकेले सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।
कौन हैं शहबाज शरीफ
72 साल के शहबाज शरीफ अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक पाकिस्तान के प्रधान मंत्री रह चुके हैं। अप्रैल 2022 में इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद शहबाज ने एक गठबंधन सरकार के मुखिया के रूप में पाकिस्तान की कमान संभाली थी।
इससे पहले, वह तीन बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 1997-1999 तक के पहले कार्यकाल के दौरान ही तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने उन्हें और उनके परिवार को सऊदी अरब निर्वासित कर दिया था।
शहबाज़ शीफ का परिवार मूलत: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है। उनके पिता मुहम्मद शरीफ़ उद्योगपति थे। वह उनके दूसरे बेटे हैं और परिवार के स्वामित्व वाले इत्तेफ़ाक ग्रुप ऑफ स्टील इंडस्ट्रीज में भी शामिल हैं।
उन्होंने तीन शादियां की हैं। पंजाब के सीएम के रूप में शहबाज शरीफ की पहचान एक तेज तर्रार नेता और प्रशासक के रूप में रही है।
वह लाहौर समेत अन्य शहरों में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री के रूप में वह कम ही लोकप्रिय हो सके। जब उन्होंने पाकिस्तान की कमान संभाली, तब से देश आर्थिक संकटों से ही घिरा रहा है।