राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने गुरुवार को ब्रिक्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की।
भारत में रूसी दूतावास द्वारा एक्स पर साझा की गई तस्वीर में दोनों को हाथ मिलाते हुए देखा गया।
यह मुलाकात सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन के दौरान हुई।
यूक्रेन विवाद का समाधान खोजने के लिए नए सिरे से किए जा रहे प्रयासों के बीच इस मुलाकात को खास माना जा रहा है।
अगले महीने कजान जाएंगे पीएम मोदी
बातचीत में पुतिन ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कजान की यात्रा करेंगे।
रूस के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय साझेदारी का विश्लेषण करने और ‘भविष्योन्मुखी’ कार्यों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान 22 अक्टूबर को मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक का भी प्रस्ताव रखा।
रूसी मीडिया ने डोभाल के साथ बैठक में पुतिन के बयानों के हवाले से कहा, ‘‘हम अपने अच्छे दोस्त मोदी का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।’’
रिपोर्टों के मुताबिक, डोभाल की रूस यात्रा का उद्देश्य रूस-यूक्रेन संघर्ष को सुलझाना है। ऐसा माना जाता है कि डोभाल राष्ट्रपति पुतिन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की शांति योजना लेकर गए हैं।
एनएसए ने बुधवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के साथ व्यापक बातचीत की और ‘परस्पर हितों’ के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
समझा जाता है कि 23 अगस्त को कीव में मोदी की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ हुई बातचीत का मुद्दा भी दोनों एनएसए के बीच बातचीत में आया।
‘सक्रिय भूमिका’ निभाने के लिए तैयार भारत
रूस में भारतीय दूतावास ने डोभाल और शोइगु के बीच बातचीत पर कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और आपसी हितों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।’’
डोभाल की रूस यात्रा मोदी द्वारा यूक्रेन की राजधानी कीव की उच्चस्तरीय यात्रा करने के ढाई सप्ताह बाद हुई है। जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत में मोदी ने कहा था कि यूक्रेन और रूस दोनों को युद्ध को समाप्त करने के लिए बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए और भारत इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत संघर्ष की शुरुआत से ही शांति के पक्ष में रहा है और वह संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से भी योगदान देना चाहेंगे। मोदी की यूक्रेन की लगभग नौ घंटे की यात्रा, 1991 में उस देश की स्वतंत्रता के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी।
यह मास्को में पुतिन के साथ उनकी शिखर वार्ता के छह सप्ताह बाद हुई। पिछले कुछ दिन में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में भारत की संभावित भूमिका को लेकर मांग उठी है क्योंकि नई दिल्ली के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं।
संघर्ष का समाधान खोजने में भूमिका निभा सकता है भारत
शनिवार को इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत के बाद कहा कि भारत और चीन इस लंबे होते संघर्ष का समाधान खोजने में भूमिका निभा सकते हैं।
पिछले बृहस्पतिवार को रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में एक परिचर्चा में पुतिन ने भारत, ब्राजील और चीन का नाम उन संभावित मध्यस्थों के रूप में लिया, जो संघर्ष को हल करने में भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले तो ये चीन, ब्राजील और भारत हैं। मैं अपने सहयोगियों के संपर्क में हूं और मुझे कोई संदेह नहीं है कि हमारे बीच एक दूसरे के साथ विश्वास और भरोसे के जो संबंध हैं, उसे देखते हुए इन देशों के नेता वास्तव में रुचि लेंगे और मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे।’’ भारत यह कहता रहा है कि यूक्रेन में संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
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