कश्मीर को दो युवा अपनी घर वापसी के लिए यूक्रेन की सड़कों पर दर-दर भटक रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, वो नौकरी की तलाश में एक एजेंट के चक्कर में फंस गए। रसोई में हेल्पर के लिए डेढ़ लाख की सैलरी का लालच दिया गया।
उन्हें रूस पहुंचाया गया और फिर सेना में भर्ती कर यूक्रेन की सीमा में पहुंचा दिया गया। एक युवक के परिवारवालों का कहना है कि उन्होंने मामले में सरकार से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है और बेटे को वापस लाने में मदद की अपील की है।
रूसी सेना में भर्ती होने के कुछ दिनों बाद उनके बेटे के पैर में गोली लग गई है। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
यूक्रेन सीमा में जंग में घायल हो चुके कश्मीरी युवक असद यूसुफ के चचेरे भाई ने कहा, “हम भारत सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी और सुरक्षित घर वापस पहुंचने का अनुरोध कर रहे हैं।
सभी भारतीय बच्चों को सुरक्षित वापस आना चाहिए।” जानकारी के अनुसार, जिन्हें पिछले साल दिसंबर में रूस के लिए लड़ने के लिए धोखा दिया गया था। रूसी सेना में “भर्ती” होने के कुछ दिनों बाद, उनके पैर में गोली लगने से घाव हो गया।
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असद के परिवार ने कहा कि उन्हें मुंबई के “बाबा व्लॉग्स” द्वारा संचालित एक यूट्यूब चैनल मिला, जिसने रूस में हेल्पर के रूप में उन्हें नौकरी का लालच दिया।
अपने “चयन” के बाद उसने 14 दिसंबर को दुबई की यात्रा की। जैसे ही वह रूस पहुंचे, उन्हें तुरंत रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया और यूक्रेन की सीमा पर भेज दिया गया।
बशारत अहमद ने कहा, “वह रसोई में हेल्पर के रूप में काम करने के लिए रूस पहुंचा था, लेकिन उन्होंने उसे लड़ने के लिए यूक्रेन भेज दिया। हमने सुना है कि उसे गोली लगी है। हम विदेश मंत्रालय से उसकी वापसी सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं। पूरा परिवार रो रहा है और सदमे में है।”
जहूर अहमद शेख, एक अन्य कश्मीरी व्यक्ति, जिसे युद्ध लड़ने के लिए एक एजेंट ने धोखा दिया था, नियंत्रण रेखा के पास बर्फीले करनाह का निवासी है।
गौरतलब है कि भारत के विभिन्न हिस्सों से कम से कम दस युवा यूक्रेन के खिलाफ रूस के लिए युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किए गए हैं। उन्हें नौकरियों के बहाने रूस भेजा गया लेकिन वे युद्ध के मैदान में फंस गए।
इन लोगों के परिवारों ने विदेश मंत्रालय (एमईए) से उन्हें भारत लौटने में मदद करने की अपील की है।
इसी तरह की अपील एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी की थी और कर्नाटक के एक मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार इन लोगों को वापस लाने के बारे में विदेश मंत्रालय से बात करेगी।
ऐसा माना जाता है कि वे भाड़े के संगठन वैगनर ग्रुप के हिस्से के रूप में यूक्रेन से लड़ रहे हैं।