मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों का पहला बैच 10 मार्च तक मालदीव छोड़ सकता है।
अब उनका कामकाज संभालने के लिए भारत ने नागरिकों की एक खास टीम भेजी है। “भारतीय तकनीकी कर्मियों” की पहली टीम मालदीव में पहुंच गई है।
ये टीम वहां विमानन प्लेटफार्मों की देखरेख करेगी। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार देर रात कहा कि भारतीय नागरिकों की पहली टीम आ गई है और देश के सबसे दक्षिणी एटोल अड्डू में हेलीकॉप्टर का संचालन संभालेगी।
बयान में कहा गया है कि दोनों सरकारों की सहमति के अनुसार अड्डू में तैनात भारतीय सैन्यकर्मी 10 मार्च तक मालदीव छोड़ देंगे।
बयान में यह भी कहा गया है कि बुधवार तक भारत से एक दूसरा हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा और नागरिकों की टीम इसके संचालन को संभालने के लिए अपना ट्रेनिंग अभ्यास शुरू कर देगी।
2 फरवरी को दोनों देशों ने फैसला किया था कि भारत मार्च से मई के बीच मालदीव से अपने सैन्यकर्मियों को वापस बुला लेगा।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने 8 फरवरी को कहा था कि “वर्तमान सैन्य कर्मियों की जगह सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों को तैनात किया जाएगा।” वे मालदीव में दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान का संचालन जारी रखेंगे।
गौरतलब है कि मालदीव के चीन प्रेमी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मांग की थी कि 15 मार्च तक भारत अपने सैनिकों को वापस बुला ले।
इसके बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की जगह अब भारत का टेक्निकल स्टाफ लेगा। ऐसा माना जा रहा है कि कम से कम 75 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में हैं।
ये सैनिक दूरदराज के द्वीपों से मरीजों को ले जाने और समुद्र के किनारे किसी तरह की अनहोनी के दौरान लोगों के मदद के लिए तैनात हैं।
बीते दिनों भारत ने मालदीव को डोर्नियर हवाई जहाज और दो हेलीकॉप्टर दिए थे। टेक्निकल स्टाफ मालदीव में इन हेलीकॉप्टरों और जहाज का रखरखाव करेंगे।
पिछले साल मालदीव की सत्ता में आने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। चीन समर्थक मुइज्जू जब से सत्ता में आए हैं तब से ही भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ गया है।
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने 2 जनवरी को कहा कि दोनों देशों के अधिकारी नई दिल्ली में मिले और इस बात पर सहमत हुए कि भारत मार्च से मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाना लेना शुरू कर देगा।