पाकिस्तान ने भारतीय एजेंसियों पर हाल के दिनों में विभिन्न पाकिस्तानी शहरों में मारे गए लश्कर आतंकियों की हत्या का आरोप लगाया है, लेकिन भारत ने तमाम आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा था कि लश्कर के खुफिया प्रमुख आजम चीमा की पाकिस्तान के फैसलाबाद में मौत हो गई।
उसकी उम्र करीब 70 साल थी। इसके बाद पाकिस्तान के जिहादी हलकों में फिर अटकलें तेज हो गई हैं।
चीमा 26/11 के आतंकवादी हमलों और जुलाई 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों के अलावा भारत में कई अन्य आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था।
चीमा की मौत की खबर सामने आते ही भारतीय एजेंसियों के दावों को बल मिल गया जिसमें कहा जाता है कि पाकिस्तान में कई आतंकवादी मौजूद हैं। हालांकि, इस्लामाबाद लगातार इनकार कर रहा है।
खुफिया सूत्रों की जानकारी के मुताबिक, चीमा पंजाबी बोलता था। वह लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था। उसने 2000 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान के बहावलपुर में अपना जीवन बिताया। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ वहां रहता था।
एक सूत्र ने कहा, “उसे अक्सर छह अंगरक्षकों के साथ एक लैंड क्रूजर में घूमते देखा जाता था। यह चीमा ही था जो एक बार बहावलपुर शिविर में हथियारों का प्रशिक्षण ले रहे जेहादियों का ब्रेनवॉश करने के लिए पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल हामिद गुल, ब्रिगेडियर रियाज और कर्नल रफीक को लाया था। वह कभी-कभी कराची जाता था और लाहौर प्रशिक्षण शिविर का भी दौरा करता था।”
चीमा के पास अफगान युद्ध का अनुभव था। वह मानचित्र विशेष रूप से भारत का मानचित्र पढ़ने में एक्सपर्ट था। एक अन्य सूत्र ने कहा, “उसने जिहादियों को मानचित्र पर भारत के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को देखना सिखाया। वह 2000 के दशक के मध्य में सैटेलाइट फोन के माध्यम से पूरे भारत में लश्कर के आतंकवादियों को निर्देश भी देता था।”
चीमा 2008 में पाकिस्तान में बहावलपुर के लिए लश्कर कमांडर के रूप में काम कर रहा था। इसी दौरान उसे लश्कर के वरिष्ठ पदाधिकारी जकी-उर-रहमान लखवी के संचालन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
अमेरिकी राजकोष विभाग उसे लश्कर-ए-तैयबा के अभियानों में एक प्रमुख कमांडर के रूप में वर्णित करता है । उसका संबंध ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा नेटवर्क से था।