अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उनका देश अनुचित आर्थिक व्यवहार, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति व सुरक्षा के लिए चीन के खिलाफ खड़ा है और भारत जैसे सहयोगियों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत कर रहा है।
नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले अपने आखिरी ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में बाइडन ने कहा कि अमेरिका, चीन के साथ प्रतिस्पर्धा चाहता है न कि टकराव।
उन्होंने बृहस्पतिवार को अमेरिकियों को बताया कि देश बीजिंग के खिलाफ 21वीं सदी में प्रतिस्पर्धा जीतने के लिए मजबूत स्थिति में है।
उन्होंने कहा, ”हम चीन के अनुचित आर्थिक कदमों और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति व सुरक्षा के लिए उसके खिलाफ खड़े हैं और साथ ही सहयोगियों और प्रशांत क्षेत्र के देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान तथा दक्षिण कोरिया के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत बना रहे हैं।”
बाइडन ने कहा, ”वर्षों से, मैंने अपने रिपब्लिकन मित्रों और कई अन्य लोगों से सुना है कि चीन आगे बढ़ रहा है और अमेरिका पीछे जा रहा है लेकिन यह उलटा है। अमेरिका आगे बढ़ रह है।” उन्होंने कांग्रेस में अपने तीसरे ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में कहा कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे अच्छी है।
इस संबोधन को बृहस्पतिवार रात को लाखों अमेरिकियों ने देखा। बाइडन ने कहा, ”मेरे सत्ता में आने के बाद से हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ा है। पिछले एक दशक में चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा सबसे निचले स्तर पर है।
मैंने यह सुनिश्चित किया है कि सबसे उन्नत अमेरिकी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल चीन के हथियारों में न किया जा सके। सच कहूं तो, चीन पर सख्त बातचीत के बावजूद मेरे पूर्ववर्ती के मन में ऐसा विचार कभी नहीं आया।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ”हम चीन या किसी भी अन्य देश के खिलाफ 21वीं सदी की प्रतिस्पर्धा को जीतने के लिए मजबूत स्थिति में हैं।”
बाइडन के बयान के एक दिन पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका पर कई आरोप लगाए थे। चीन की संसद की वार्षिक बैठक के इतर वांग ने अमेरिका पर प्रतिबंधों के माध्यम से चीन को नियंत्रित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और जोर देकर कहा कि वाशिंगटन को बीजिंग को लेकर “गलत धारणा” है।
अमेरिका ने मानवाधिकारों के हनन से लेकर रूस के साथ उसके बढ़ते सैन्य संबंधों तक को लेकर कई मुद्दों पर चीन के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं।