कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के नौ महीने बाद घटना का कथित वीडियो फुटेज सामने आया है।
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो काफी दूर लगे कैमरे में कैद हो गया। सीबीएस न्यूज ने यह वीडियो ‘द फिफ्थ एस्टेट’ से हासिल किया है।
‘द फिफ्थ एस्टेट’ एक कनाडाई इन्वेस्टिगेटिव डॉक्यूमेंट्री सीरीज है। बता दें कि ये सीरीज सीबीएस नेटवर्क पर ही प्रसारित होती है।
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फुटेज को एक से अधिक सोर्स ने वेरीफाई किया है। बता दें कि कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर की पिछले साल जून महीने में हत्या कर दी गई थी।
इससे भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया। कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया कि उसके एजेंटों ने निज्जर की हत्या की। भारत ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था।
अब निज्जर की हत्या का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि निज्जर अपने ग्रे कलर के डॉज रैम पिकअप ट्रक से गुरुद्वारे की पार्किंग से निकल रहा है।
पार्किंग की बगल वाली लेन में एक सफेद सेडान गाड़ी भी उसके साथ-साथ आगे बढ़ती दिख रही है। जैसे ही वह बाहर निकलने के करीब पहुंचता है, सफेद कार निज्जर के सामने आ जाती है और उसके ट्रक को रोक देती है।
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फिर, दो लोग ट्रक की ओर दौड़ते हैं और निज्जर को गोली मारकर घटनास्थल से भाग जाते हैं। हमलावर सिल्वर कलर की टोयोटा कैमरी से भागते दिख रहे हैं।
ये पहली बार है जब निज्जर की हत्या से जुड़ा कोई भी वीडियो सामने आया है। बताया जा रहा है कि वीडियो सामने आने के बाद खालिस्तानियों में दहशत का माहौल है।
इससे पहले अमेरिका ने एक अन्य खालिस्तानी आतंकी पन्नू की कथित हत्या की साजिश में भारतीयों के होने का आरोप लगाया था।
अमेरिकी सरकारी वकीलों ने दायर केस में दावा किया था कि जिस व्यक्ति को पन्नू को मारने के लिए हायर किया गया था उसे निज्जर की हत्या का वीडियो दिखाया गया था।
निज्जर की हत्या में भारत की संदिग्ध संलिप्तता के बारे में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप के बाद पिछले साल दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ कड़वाहट देखी गई थी।
भारत ने इसे ‘‘बेतुका और आधारहीन’’ बताते हुए इन आरोपों से इनकार किया था। साथ ही भारत ने कहा है कि कनाडा ने कभी भी अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत या जानकारी साझा नहीं की है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे।