मालदीव से भारतीय सैनिकों के लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के बयान के कुछ सप्ताह बाद भारत ने यह कदम उठाया है।
मालदीव के अखबार मिहारू (Mihaaru) में इसे लेकर एक रिपोर्ट छपी है। इसमें बताया गया कि अड्डू के सबसे दक्षिणी एटोल में तैनात 25 भारतीय सैनिकों ने रविवार को मालदीव छोड़ दिया।
हालांकि, मालदीव या भारतीय अधिकारियों की ओर से अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू कुछ दिनों पहले ही भारत विरोधी बयानबाजी तेज करते नजर आए थे। उन्होंने कहा कि उनके देश में 10 मई के बाद 1 भी भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद नहीं रहेगा, यहां तक कि सादे कपड़ों में भी नहीं।
मुइज्जू का यह बयान तब आया जब कुछ समय पहले भारत की असैन्य टीम मालदीव में हल्के हेलीकॉप्टर का संचालन करने वाले सैन्यकर्मियों की जगह लेने वहां पहुंची थी।
मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की समयसीमा तय की थी। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने में उनकी सरकार की सफलता के कारण झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। लोग मौजूदा स्थिति को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।
2 हेलीकाप्टर और 1 विमान का संचालन
गौरतलब है कि मुइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं। मालदीव ने हाल ही में निशुल्क सैन्य सहायता हासिल करने के लिए चीन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया है। 2 फरवरी को दोनों पक्षों के बीच दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी।
इस दौरान मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस द्वीपीय देश में 3 विमानन प्लेटफॉर्म में अपने सैन्यकर्मियों को बदलेगा और इस प्रक्रिया का पहला चरण 10 मार्च तक पूरा किया जाएगा। कुछ दिनों पहले तक भारत के 88 सैन्यकर्मी मालदीव में मौजूद थे।
ये मुख्य रूप से 2 हेलीकाप्टर और 1 विमान का संचालन करने के लिए तैनात थे। इनके जरिए सैकड़ों मेडिकल बचाव व मानवीय सहायता मिशन को पूरा किया गया है।
अब मालदीव ने मेडिकल बचाव मिशन के लिए विमानों का संचालन करने के लिए श्रीलंका के साथ समझौता किया है। इससे यह संकेत मिला कि वह सभी भारतीय सैनिकों को हटाने पर तुला हुआ था।