Home विदेश पीएम ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना, एक तिहाई सांसद कर रहे नेतृत्व परिवर्तन की मांग

पीएम ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना, एक तिहाई सांसद कर रहे नेतृत्व परिवर्तन की मांग

by News Desk

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले से ही उनकी अपनी ही सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के करीब एक तिहाई सांसद नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। अब उनकी सहयोगी पार्टी ने भी पल्ला झाड़ लिया है। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के प्रमुख जगमीत सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले वर्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे।

संसद के निचले सदन में एनडीपी के 25 सदस्य हैं। 338 सदस्यीय में लिबरल पार्टी के 153 सदस्य हैं। जगमीत की पार्टी ने सदन में हाल में कई बार विश्वास मत परीक्षणों में अल्पमत लिबरल पार्टी का समर्थन किया है। जगमीत सिंह ने एक खुले पत्र में इस बात की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अगर सभी विपक्षी दल अल्पमत वाली लिबरल सरकार के खिलाफ मतदान करते हैं तो ट्रूडो सत्ता खो देंगे और चुनाव कराए जाएंगे।

संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कामंस में इस समय शीतकालीन अवकाश है और 27 जनवरी से इसका सत्र आरंभ होगा। इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता है। इस बीच, ट्रूडो ने अपने मंत्रिमंडल में बदलाव किया है। उन्होंने आठ नए मंत्रियों को शामिल किया और चार के कामकाज में बदलाव किया है।

बता दें कि हाल ही में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ट्रूडो के इस्तीफे की मांग तेज होने लगी है। हाउस आफ कामंस में सत्तारूढ़ दल के 153 सदस्यों में से उनके पद से हटने की मांग करने वाले सांसदों की संख्या बढ़कर लगभग 60 हो गई है।

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि कनाडा ने अपने गंभीर आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं दिया है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखित जवाब में कहा, इस तरह के नैरेटिव द्विपक्षीय रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सरकार अमेरिका और कनाडा में भारतीय नागरिकों पर लगे आरोपों से अवगत है।

अमेरिका के साथ चल रहे सहयोग के हिस्से के रूप में अपराधियों, आतंकियों और अन्य लोगों के बीच साठगांठ से संबंधित अमेरिकी पक्ष द्वारा साझा की गई कुछ जानकारी जो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालती है की उच्च-स्तरीय जांच की जा रही है। जहां तक कनाडा का सवाल है, उसने आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं दिया है।

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